Kartik Purnima 2025 Puja Vidhi and Muhurat: कार्तिक माह के पूर्ण चन्द्र दिवस को कार्तिक पूर्णिमा, पूनम, पौर्णमी तथा पूरणमासी आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है। वैसे तो पूर्णिमा हर महीने में आती है लेकिन कार्तिक महीने की पूर्णिमा का सर्वाधिक महत्व माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने की विशेष परंपरा है। इसके साथ ही इस दिन देव दीवाली (Dev Diwali 2025) और गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2025) पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन तुलसी पूजन (Tulsi Pujan 2025) करने का भी विशेष महत्व माना गया है। चलिए आपको बताते हैं कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि और मुहूर्त।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 पूजा मुहूर्त (Kartik Purnima Puja Muhurat 2025)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन लोग संध्याकाल में भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करने के बाद घर के अंदर और बाहर दीपक जलाते हैं। इस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 से 8 बजे तक माना गया है।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 चंद्रोदय समय (Kartik Purnima 2025 Moonrise Time)
5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय समय शाम 05:11 बजे का है।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)
- इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो घर में स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद पूजा के लिए की तैयार करें।
- इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की उपासना का विशेष महत्व होता है।
- पूजा के समय भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, धूप, दीप, चंदन, रोली, अगरबत्ती, अक्षत, फूल, पंचामृत, फल और नैवेद्य अर्पित करें।
- वहीं भगवान शिव को जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा जरूर चढ़ाएं।
- घर के विभिन्न स्थानों पर दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें।
- जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।
कार्तिक पूर्णिमा मंत्र (Kartik Purnima Mantra)
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ नमः शिवाय” मंत्रों का जाप करें
कार्तिक पूर्णिमा महत्व (Kartik Purnima Ka Mahatva)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। कहते हैं इसी दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था जिसके बाद देवताओं ने पृथ्वी पर आकर दीपों के माध्यम से शिव का विशेष स्वागत किया था। इसलिए इस दिन दीपदान का विशेष महत्व माना जाता है।
