भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। राज्य सरकार ने गेहूं और धान की खरीदी करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इस संबंध में सीएम मोहन यादव ने केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को पत्र लिखा है। विभागीय मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखे इस पत्र में सीएम ने केंद्र से गेहूं और धान की सीधी खरीदी करने का आग्रह किया है। सीएम मोहन यादव द्वारा लिखे गए पत्र में प्रदेश के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 72177 करोड़ रुपए के कर्ज का हवाला भी दिया गया है।
दरअसल, मप्र में धान-गेहूं खरीदी की विकेंद्रीकृत व्यवस्था है यानी प्रदेश सरकार किसानों से ये अनाज खरीदती है और केंद्र सरकार का भारतीय खाद्य निगम प्रदेश सरकार से अनाज लेता है। यदि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को मान लेती है, तो ये व्यवस्था खत्म होगी और नागरिक आपूर्ति निगम की कोई भूमिका नहीं होगी। अगले सत्र से गेहूं-धान की खरीदी सीधे भारतीय खाद्य निगम (FCI) ही करेगा।
सरकार का दावा है कि व्यवस्था में बदलाव से किसानों या आम जनता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन जानकारों का कहना है कि FCI के गुणवत्ता मानक बेहद सख्त होते हैं, जिससे बड़ी संख्या में किसानों की उपज रिजेक्ट हो सकती है और उन्हें अपनी मेहनत की कमाई औने-पौने दामों पर निजी व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
सरकार ने केंद्र से क्या मांग की
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को एक पत्र लिखकर कहा है कि गेहूं और धान की खरीदी की व्यवस्था केंद्रीकृत तरीके से की जाए। पत्र में लिखा है कि प्रदेश में उपार्जन पिछले सालों में बढ़कर गेहूं में 77.74 लाख मीट्रिक टन एवं धान में 43.49 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
स्टॉक के निराकरण में बहुत ज्यादा समय लग रहा है, साथ ही राज्य सरकार की जो लागत आती है उसका समय पर भुगतान न होने से राज्य सरकार को विकेंद्रीकृत उपार्जन योजना संचालन में काफी वित्तीय हानियां हो रही हैं। यह उल्लेखनीय है कि उक्त उपार्जन योजना में बैंकों से ली गई उधार राशि ₹72,177 करोड़ है। इसके पुनर्भुगतान में काफी समस्या हो रही है।
अतः अनुरोध है कि प्रदेश को समर्थन मूल्य विकेंद्रीकृत उपार्जन योजना के स्थान पर केंद्रीकृत उपार्जन योजना संचालन की अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें।
