Complaint against India in WTO: चीन ने भारत के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में दर्ज कराई शिकायत है। चीन ने भारत के एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल बैटरी, मोटर व्हीकल के प्रोडक्शन से जुड़ी पीएलआई स्कीम और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की पॉलिसी की कुछ शर्तों को वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन बताते हुए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत दर्ज कराई है। जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन के एक लेटर के अनुसार, चीन ने विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान तंत्र के तहत इन उपायों पर भारत के साथ परामर्श की मांग की है। चीन ने कहा कि भारत द्वारा अपनाए गए उपाय आयातित वस्तुओं की तुलना में घरेलू वस्तुओं के उपयोग पर निर्भर हैं और चीन में बने सामानों के साथ भेदभाव करते हैं।
चीन ने भारत के 3 कार्यक्रमों के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत
ये उपाय एससीएम (सब्सिडी एवं प्रतिपूरक उपाय) समझौते, जीएटीटी (शुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता) 1994 और टीआरआईएम (व्यापार-संबंधित निवेश उपाय) समझौते के तहत भारत के दायित्वों के अनुरूप प्रतीत नहीं होते हैं। डब्ल्यूटीओ के 20 अक्टूबर के लेटर में कहा गया, ‘‘ उपरोक्त पहलुओं के परिणामस्वरूप विवादित कदम उल्लिखित समझौतों के तहत चीन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिलने वाले लाभों को निष्प्रभावी या कम करते प्रतीत होते हैं।’’ इसमें कहा गया कि चीन, भारत का जवाब मिलने तथा परामर्श के लिए पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख पर सहमति बनने की उम्मीद कर रहा है। चीन ने अपनी शिकायत में भारत के तीन कार्यक्रम उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम, मोटर वाहन एवं उसके घटक से जुड़े उद्योग के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना और भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना का उल्लेख किया है।
विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश हैं भारत और चीन
भारत और चीन दोनों विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य हैं। यदि किसी सदस्य देश को लगता है कि किसी अन्य सदस्य देश की नीति या योजना के तहत कोई सहायता उपाय उसके कुछ वस्तुओं के निर्यात को नुकसान पहुंचा रहा है, तो वो डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है। विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार, परामर्श लेना विवाद निपटान प्रक्रिया का पहला चरण है। यदि भारत के साथ अनुरोधित परामर्श से कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकलता है, तो विश्व व्यापार संगठन से उठाए गए मुद्दे पर निर्णय देने या निपटान के लिए एक समिति गठित करने का अनुरोध किया जा सकता है। बताते चलें कि चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हुआ
गत वित्त वर्ष 2024-25 में, चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया जो 2023-24 में 16.66 अरब अमेरिकी डॉलर था। हालांकि, आयात 2024-25 में 11.52 प्रतिशत बढ़कर 113.45 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया जो 2023-24 में 101.73 अरब अमेरिकी डॉलर था। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2024-25 के दौरान बढ़कर 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।