CG Gariaband Naxalites Surrender: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को एक और बड़ी सफलता मिली है। 1-1 लाख के इनामी तीन सक्रिय माओवादियों ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। सरेंडर करने वालों में दो महिलाएं भी शामिल हैं। ये सभी लंबे समय से माओवादी संगठनों से जुड़े हुए थे और कई बड़ी नक्सली घटनाओं में इनकी सक्रिय भूमिका रही है।
शासन की पुनर्वास नीति से हुए प्रभावित
तीनों नक्सलियों ने शासन की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला लिया है। आत्मसमर्पण करने वालों ने कहा कि अब वे समाज की मुख्यधारा में लौटकर सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि माओवादी संगठन अब केवल शोषण और हिंसा का माध्यम बनकर रह गया है।
कौन हैं सरेंडर करने वाले नक्सली?
- नागेश उर्फ रामा कवासी – बीजापुर के तर्रेम गांव का निवासी है। 2022 में संगठन से जुड़ा और मेटाल मुठभेड़ सहित कई घटनाओं में सक्रिय रहा। यह डीव्हीसी-डमरू के गार्ड के रूप में काम कर रहा था।
- जैनी उर्फ देवे मडकम – बीजापुर के इतगुडेम गांव की रहने वाली जैनी ने 2016 में जनमिलिशिया से शुरुआत की और 2017 में माओवादी संगठन की सदस्य बनी। वह ओडिशा स्टेट कमेटी के सदस्य प्रमोद उर्फ पाण्डु की निजी गार्ड रही है।
- मनीला उर्फ सुंदरी कवासी – जैगूर गांव, बीजापुर निवासी मनीला 2020 में संगठन में शामिल हुई। शुरू में कृषि कार्य में जुड़ी रही लेकिन बाद में सीनापाली एरिया कमेटी में सक्रिय हुई और कई मुठभेड़ों में शामिल रही।
“संगठन की विचारधारा खोखली, निर्दोष मारे जा रहे हैं”
तीनों नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के बाद खुलासा किया कि अब संगठन की विचारधारा पूरी तरह खोखली हो चुकी है। अब वहां सिर्फ निर्दोष ग्रामीणों की हत्या, जबरन वसूली और दबाव से जीने की मजबूरी है। जंगलों में भटकना, बिना इलाज, बिना सुरक्षा के जीवन जीना, और बड़े नेताओं की गुलामी करना ही रोजमर्रा का हिस्सा बन गया था। उन्होंने कहा कि जो साथी पहले आत्मसमर्पण कर चुके हैं, उन्हें देखकर प्रेरणा मिली, क्योंकि वे आज एक सुखद और सुरक्षित जीवन जी रहे हैं।
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पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई
इस आत्मसमर्पण में गरियाबंद पुलिस, STF, CRPF, और Cobra 207 बटालियन की बड़ी भूमिका रही। गरियाबंद पुलिस ने एक बार फिर सभी सक्रिय नक्सलियों से अपील की है कि वे नक्सलवाद छोड़कर किसी भी थाना, चौकी या सुरक्षा बल कैंप में आकर आत्मसमर्पण करें और शासन की पुनर्वास योजना का लाभ उठाएं।
अमित शाह की अपील का असर
4 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बस्तर दौरे पर यह स्पष्ट कहा था कि छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार दोनों मिलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने नक्सलियों से हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की थी। अमित शाह ने यह भी कहा था कि जो गांव नक्सलमुक्त हो जाएंगे, उनकी तरक्की के लिए छत्तीसगढ़ सरकार 1 करोड़ रुपये का विशेष विकास फंड भी देगी।
हाल ही में हुए अन्य बड़े सरेंडर
- 2 अक्टूबर 2025 को बीजापुर में 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें से 5 पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था।
- 24 सितंबर को दंतेवाड़ा में 71 नक्सलियों ने ‘लोन वर्राटू’ अभियान से प्रेरित होकर हथियार डाले। इनमें तीन नाबालिग नक्सली भी शामिल थे।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि अब नक्सली संगठन के भीतर गहराती हताशा और असंतोष के बीच पुनर्वास नीति एक मजबूत विकल्प बनकर उभरी है। नक्सल उन्मूलन में शासन की रणनीति और सुरक्षा बलों की समन्वित कार्रवाई का असर अब साफ दिखने लगा है। लगातार हो रहे आत्मसमर्पण से यह संदेश जा रहा है कि अब जंगलों से लौटकर भी सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन संभव है। नक्सलवाद को खत्म करने का रास्ता अब संवाद, विकास और पुनर्वास से होकर गुजरता है।