Shardiya Navratri 5th Day: शारदीय नवरात्र के पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा का विधान है। देवताओं के सेनापति कहे जाने वाले स्कन्द कुमार, यानि कार्तिकेय जी की माता होने के कारण ही देवी मां को स्कंदमाता कहा जाता है। इनके विग्रह में स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। माता का रंग पूर्णतः सफेद है और ये कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं, जिसके कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। देवी मां की चार भुजायें हैं। ऊपर की दाहिनी भुजा में ये अपने पुत्र स्कन्द को पकड़े हुए हैं और इनके निचले दाहिने हाथ तथा एक बाएं हाथ में कमल का फूल है, जबकि माता का दूसरा बायां हाथ अभय मुद्रा में रहता है। माना जाता है कि देवी मां अपने भक्तों पर ठीक उसी प्रकार कृपा बनाये रखती हैं, जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों पर बनाकर रखती हैं। देवी मां अपने भक्तों को सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं।
साथ ही स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि हमारा जीवन एक संग्राम है और हम स्वयं अपने सेनापति हैं। लिहाजा देवी मां से हमें सैन्य संचालन की प्रेरणा भी मिलती है। नवरात्र के पांचवें दिन आपको स्कन्दमाता की पूजा करके अवश्य ही लाभ उठाना चाहिए। आइए अब जान लेते हैं कि स्कंदमाता के प्रिय मंत्र, पूजा मुहूर्त, भोग और आरती के बारे में।
नवरात्रि का पांचवां दिन कब है?
आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रि 2025 के दौरान चतुर्थी तिथि 26 सितंबर सुबह 9 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। इसलिए इस दिन भी आप माता कुष्मांडा की पूजा कर सकते हैं। वहीं 9 बजकर 34 मिनट के बाद पंचमी तिथि लग जाएगी और 27 सितंबर दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक पंचमी तिथि रहेगी। ऐसे में स्कंदमाता की पूजा 27 सितंबर को करना ही सही माना जाएगा।
नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के पांचवें दिन 27 सितंबर को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। वहीं प्रात: कालीन संध्या सुबह 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। इस दौरान पूजा करना बेहद शुभ माना जाएगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक पूजा करना भी शुभ माना जाएगा। संध्या कालीन पूजा आप शाम 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट के बीच कर सकते हैं।
स्कंदमाता को प्रसन्न करने के मंत्र (Skandmata Ke Mantra)
- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः
- सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।
- या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
- दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्।
स्कंद माता की आरती (Skandmata Ki Aarti)
जय तेरी हो स्कंद माता
पांचवां नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरो मैं तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाए तेरे भगत प्यारे
भक्ति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए
तुम ही खंडा हाथ उठाए
दास को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुराने आई।
स्कंदमाता को लगाएं इन चीजों का भोग (Skandmata Bhog)
स्कंद माता को पीले रंग के भोज्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है। स्कंदमाता को पीला रंग अतिप्रिय है। आप नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता को पीली मिठाई, केसर मिश्रित खीर, केला, हलवा आदि भोग के रूप में अर्पित करना चाहिए।