India / America News: अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट को दी गई प्रतिबंध छूट खत्म करने का ऐलान किया है। यह फैसला 29 सितंबर से लागू हो जाएगा। इसके बाद चाबहार पोर्ट के विकास और संचालन से जुड़े व्यक्ति या संस्थाओं पर अमेरिकी-ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट (IFCA) के तहत प्रतिबंध लागू होंगे। इस निर्णय का असर न सिर्फ ईरान बल्कि भारत पर भी गहराई से पड़ने वाला है।चाबहार पोर्ट, ईरान का रणनीतिक महत्व वाला बंदरगाह है, जो ओमान की खाड़ी में स्थित है। यह भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी का अहम जरिया है। भारत ने इस पोर्ट के विकास में निवेश किया है ताकि पाकिस्तान को बायपास करके सीधे सेंट्रल एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंच बनाई जा सके। यही कारण है कि चाबहार पोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
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India / America News: भारत ने इसी साल 13 मई 2024 को ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के शहीद बेहेश्ती टर्मिनल को 10 साल की लीज़ पर लेने का समझौता किया था। इस समझौते के तहत भारत पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश कर पोर्ट का संचालन और विकास करेगा। इसके अलावा भारत ने इसके आगे के विस्तार के लिए 2,000 करोड़ रुपये का ऋण भी उपलब्ध कराया है। इस बंदरगाह के माध्यम से भारत, पाकिस्तान के रास्ते पर निर्भर हुए बिना सेंट्रल एशिया और अफगानिस्तान तक अपना सामान पहुंचा सकता है।
अमेरिका का कहना है कि प्रतिबंध छूट खत्म करने का मकसद ईरान की सेना को मिलने वाली फंडिंग को रोकना है। पहले चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंधों से छूट इसलिए दी गई थी ताकि अफगानिस्तान तक राहत और व्यापारिक सामग्री पहुंचाई जा सके। लेकिन अब अफगानिस्तान में तालिबान शासन होने के कारण अमेरिका इस छूट को जारी रखना उपयोगी नहीं मानता। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर दबाव बनाने की एक रणनीति भी हो सकती है।
इस छूट का नुकसान हर तरफ से ईरान और भारत को
India / America News: इस कदम से भारत और ईरान दोनों को नुकसान झेलना पड़ेगा। आर्थिक तौर पर देखा जाए तो ईरान को इससे बड़ा झटका लगेगा और उसकी सेना की क्षमताओं पर भी असर पड़ेगा। भारत के लिए यह नुकसान रणनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों स्तरों पर गंभीर साबित हो सकता है। रणनीतिक दृष्टि से चाबहार पोर्ट चीन के प्रभाव वाले पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का विकल्प था, जिसे अब झटका लगेगा। आर्थिक दृष्टि से इस रास्ते से व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है। कूटनीतिक दृष्टि से भारत को अब अमेरिका और ईरान के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना होगा।
इस फैसले का असर अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) परियोजना पर भी पड़ सकता है। 7,200 किलोमीटर लंबी इस परियोजना के तहत ईरान 700 किलोमीटर लंबी चाबहार-जाहेदान रेल लाइन का विस्तार करने की योजना बना रहा था। लेकिन अब इस पर भी अनिश्चितता बढ़ गई है।