पुणे, महाराष्ट्र। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पुणे की एक अदालत में आवेदन दायर कर अपनी जान को गंभीर खतरा होने का दावा किया है। यह आवेदन हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर पर उनकी टिप्पणी से जुड़े एक मानहानि मामले में दिया गया है। राहुल गांधी ने अपने आवेदन में महात्मा गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि इतिहास को दोहराने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
राहुल गांधी ने अपने आवेदन में कहा कि हाल के दिनों में उनके द्वारा उठाए गए राजनीतिक मुद्दों, विशेष रूप से ‘वोट चोरी’ के आरोपों और सावरकर पर की गई टिप्पणियों ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने इस मामले के शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर का हवाला देते हुए कहा कि वे नाथूराम गोडसे और गोपाल गोडसे के वंशज हैं, जिनका हिंसक और असंवैधानिक गतिविधियों से जुड़ा इतिहास रहा है।
राहुल गांधी ने कहा, “शिकायतकर्ता के परिवार के हिंसक इतिहास को देखते हुए, यह स्पष्ट और तार्किक आशंका है कि मुझे नुकसान पहुंचाया जा सकता है, झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है, या अन्य तरीकों से निशाना बनाया जा सकता है।”
बीजेपी नेताओं से धमकियों का आरोप
राहुल गांधी ने अपने आवेदन में यह भी दावा किया कि उनके द्वारा ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को उठाने के बाद बीजेपी नेताओं की ओर से उन्हें दो सार्वजनिक धमकियां मिली हैं। केंद्रीय मंत्री रवीनीत सिंह बिट्टू ने उन्हें “देश का नंबर एक आतंकवादी” कहा, जबकि बीजेपी नेता तरविंदर सिंह मारवाह ने धमकी दी कि अगर राहुल ने “अच्छा व्यवहार” नहीं किया, तो उनके साथ उनकी दादी जैसा हश्र हो सकता है। राहुल ने अदालत से आग्रह किया कि इन खतरों को गंभीरता से लिया जाए और उनकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
सत्यकी सावरकर का जवाब
इसके जवाब में शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर (विनायक सावरकर के पोते) ने राहुल गांधी के आवेदन को “पूरी तरह अप्रासंगिक” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह आवेदन काफी समय पहले दायर किया गया था, और राहुल जानबूझकर मामले में देरी कर रहे हैं।
सत्यकी ने बताया कि अदालत पहले ही राहुल को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे चुकी है, फिर भी वे कार्यवाही को टालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह आवेदन मामले से जुड़ा नहीं है और इसका कोई औचित्य नहीं है।”
यह मानहानि मामला मार्च 2023 में लंदन में राहुल गांधी के एक भाषण से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने सावरकर की किताब का हवाला देते हुए दावा किया था कि सावरकर और उनके साथियों ने एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमला किया ।
सत्यकी सावरकर ने इन दावों को झूठा और अपमानजनक बताते हुए उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। यह मामला अब न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी चर्चा में है।