रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 38 किलोमीटर दूर आरंग में स्थित प्राचीन शिव मंदिर धार्मिक आस्था, पौराणिक इतिहास और स्थापत्य कला का जीवंत प्रतीक है। यह मंदिर रामबन मन पथ का 98वां पड़ाव माना जाता है, जिससे इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण अपने वनवास के दौरान इस पवित्र स्थल पर ठहरे थे और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी। यह मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और श्रद्धा का केंद्र है।
Read More : बिलासपुर धर्मांतरण मामला: प्रार्थना सभा की आड़ में धर्म परिवर्तन, महिला टीचर और बेटे पर FIR दर्ज
क्या है मंदिर का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा मोरध्वज की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए इस स्थल पर आगमन किया था। 11वीं सदी में राजा मोरध्वज द्वारा निर्मित यह शिव मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
मंदिर के परिसर में कुल 108 खंभे हैं, जिनमें 24 खंभे मंदिर मंडप के अंदर हैं, जो 24 घंटे के समय चक्र का प्रतीक माने जाते हैं, और 84 खंभे बाहरी दीवारों में हैं, जो 84 लाख योनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह स्थापत्य डिज़ाइन मंदिर की ज्योतिषीय और दार्शनिक महत्ता को दर्शाता है।
Read More : हत्या या आत्महत्या: BEO कार्यालय में फंदे पर लटका मिला युवक का शव, पीएम के बाद खुलेगा राज
सूर्य की पहली किरण करती है शिवलिंग का अभिषेक
इस मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि प्रत्येक दिन सूर्योदय की पहली किरण सीधे शिवलिंग पर पड़ती है। यह ज्योतिषीय गणना और स्थापत्य कौशल का अद्भुत प्रमाण है। मंदिर के इतिहासकार डॉ. तेजकुमार जलक्षत्री के अनुसार, यहां भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर किया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक, भव्य श्रृंगार, भजन-कीर्तन, महाआरती और रात्रि जागरण का आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
Read More : पुलिसकर्मियों ने 2 नाबालिग बहनों को बनाया बंधक, 6 महीने तक कराई मजदूरी, जानिए पूरा मामला
भगवान श्रीराम के पदचिह्नों से जुड़ा मंदिर
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक, ज्योतिषीय और स्थापत्य विशेषताओं का भी अनूठा संगम है। भगवान श्रीराम के पदचिह्नों से जुड़ा यह मंदिर महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिकता का भव्य मंच बन जाता है। मंदिर का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों को अलौकिक अनुभूति प्रदान करता है।
आरंग का यह शिव मंदिर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंदिर का संबंध रामायण और महाभारत काल से होने के कारण यह भक्तों और इतिहास प्रेमियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
Read More : महिला पटवारी पर रिश्वत का आरोप, तहसीलदार ने लौटाए पैसे, PCC चीफ दीपक बैज ने सरकार को घेरा
महाशिवरात्रि के अलावा, सावन माह में भी यहां विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जो भक्तों को भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। मंदिर का प्राकृतिक और शांत परिवेश इसे ध्यान और भक्ति के लिए आदर्श स्थान बनाता है। यह मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए है, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक शांति और प्रेरणा भी प्रदान करता है। महाशिवरात्रि और सावन जैसे अवसरों पर यह मंदिर भक्ति और आध्यात्मिकता का केंद्र बन जाता है।