भारतमाला परियोजना में 48 करोड़ का मुआवजा घोटाला, EOW ने 6 को किया गिरफ्तार

भारतमाला परियोजना में 48 करोड़ का मुआवजा घोटाला, EOW ने 6 को किया गिरफ्तार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भारतमाला सड़क परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के वितरण में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने इस मामले में बुधवार को जल संसाधन विभाग के दो लोक सेवकों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया। इस घोटाले से राज्य सरकार को 48 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक हानि हुई है और जांच के दौरान यह राशि और बढ़ने की संभावना है।

रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक गलियारे के लिए भारतमाला परियोजना के तहत 2020 से 2024 के बीच भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों ने निम्नलिखित तरीकों से धोखाधड़ी की:

पहले से अधिग्रहीत भूमि को दोबारा शासन को बेचकर मुआवजा हड़पना।

वास्तविक भूमि स्वामी के बजाय अन्य व्यक्तियों को मुआवजा देना।

निजी भूमि को टुकड़ों में बांटकर और गलत मुआवजा राशि निर्धारित कर धोखाधड़ी करना।

इसके परिणामस्वरूप, पांच गांवों की जमीन से संबंधित गलत मुआवजा वितरण के कारण सरकार को 48 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। कई अन्य गांवों की रिपोर्ट अभी शासन से प्राप्त होनी बाकी है, जिससे नुकसान की राशि और बढ़ सकती है।

गिरफ्तार किए गए आरोपी

ईओडब्ल्यू ने इस मामले में निम्नलिखित छह लोगों को गिरफ्तार किया:

गोपाल राम वर्मा (सेवानिवृत्त अमीन, जल संसाधन विभाग)

नरेंद्र कुमार नायक (अमीन, जल संसाधन विभाग)

खेमराज कोसले

पुनुराम देशलहरे

भोजराम साहू

कुंदन बघेल

इन आरोपियों को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया। कोसले, देशलहरे, साहू और बघेल को 18 जुलाई तक ईओडब्ल्यू की हिरासत में भेजा गया, जबकि लोक सेवकों (वर्मा और नायक) को 23 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

जांच में ये आया सामने

जांच में पता चला कि जल संसाधन विभाग के दो अधिकारियों ने पहले से अधिग्रहीत भूमि के बारे में गलत रिपोर्ट पेश की। वहीं, चार अन्य व्यक्तियों ने राजस्व विभाग के फरार अधिकारियों के साथ मिलकर खाता विभाजन (बटांकन) और अन्य राजस्व प्रक्रियाओं में फर्जीवाड़ा किया। इस प्रक्रिया में किसानों से भारी कमीशन वसूला गया। कुछ मामलों में, भूमि माफियाओं को वास्तविक मुआवजे से कई गुना अधिक राशि दिलवाई गई, जबकि कई वास्तविक किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है।

अब तक की कार्रवाई

ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में अब तक कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। मार्च 2025 में मामला सामने आने पर तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू (जो उस समय जगदलपुर नगर निगम आयुक्त थे) सहित अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद जांच ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंपी गई। फरार अधिकारियों—निर्भय साहू, शशिकांत कुर्रे, लखेश्वर किरण, और तीन पटवारियों- के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।

भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 546 किलोमीटर लंबी फोरलेन और सिक्सलेन सड़क का निर्माण हो रहा है। इस परियोजना के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण किया गया, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और भूमि माफियाओं की मिलीभगत ने इस प्रक्रिया को दूषित कर दिया। कुछ स्रोतों के अनुसार, इस घोटाले से सरकार को 600 करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ हो सकता है।

ईओडब्ल्यू की जांच अभी जारी है और और गिरफ्तारियां होने की संभावना है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भी इस मामले में आपत्ति दर्ज की थी, जिसके बाद मुआवजा वितरण रोक दिया गया था। सरकार और जांच एजेंसियां इस मामले को गंभीरता से ले रही हैं, ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकी जा सके।


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