रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 16 जुलाई 2025 को बस स्टैंड के पास अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के सदस्यों के साथ पुलिस की बर्बरता का मामला सामने आया है। वायरल वीडियो में पुलिस को दिव्यांग पुरुषों और महिलाओं को घसीटकर गाड़ियों में डालते और नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर ले जाते देखा गया है। यह घटना तब हुई जब दिव्यांग संघ के लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले 148 अधिकारियों की बर्खास्तगी समेत अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर विधानसभा घेराव करने जा रहे थे।
पुलिस ने की बदसलूकी
वायरल वीडियो में पुलिस कर्मियों को प्रदर्शनकारी दिव्यांगों, विशेष रूप से महिलाओं, के साथ बदसलूकी करते और उन्हें जबरन गाड़ियों में डालते देखा गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें उठाने के लिए रायपुर के बस स्टैंड पर एकत्र हुए थे, लेकिन पुलिस ने बिना किसी उचित कारण के उन्हें रोक दिया और बलपूर्वक हटा दिया। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहितराम चंद्राकर ने कहा, “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें घसीटकर और गाली-गलौच कर अपमानित किया। एक दिव्यांग का मोबाइल तक छीन लिया गया।”
ये है छह सूत्रीय मांगें
- छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर यह प्रदर्शन आयोजित किया था, जो निम्नलिखित हैं:
- फर्जी प्रमाणपत्र वालों की बर्खास्तगी: फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले अधिकारियों की तत्काल बर्खास्तगी और राज्य मेडिकल बोर्ड से उनका भौतिक सत्यापन।
- बैकलॉग भर्ती: दिव्यांग कोटे के रिक्त पदों पर विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए।
- पेंशन वृद्धि: सभी दिव्यांगों को प्रतिमाह 5,000 रुपये की पेंशन दी जाए।
- बीपीएल की शर्त हटाएं: पेंशन के लिए बीपीएल कार्ड की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
- महतारी वंदन योजना: 21 वर्ष से अधिक उम्र की अविवाहित दिव्यांग महिलाओं को इस योजना में शामिल किया जाए।
- पदोन्नति आरक्षण: 3% पदोन्नति आरक्षण के पालन के लिए परिपत्र जारी किया जाए।
क्या है फर्जी प्रमाणपत्रों का मामला
दिव्यांग संघ ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) के माध्यम से चयनित 148 अधिकारियों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों का उपयोग कर नौकरियां हासिल की हैं। इनमें 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, 2 सहकारिता निरीक्षक, और 3 पशु चिकित्सक शामिल हैं।
संघ ने मांग की है कि इन अधिकारियों का राज्य मेडिकल बोर्ड से सत्यापन करवाकर दोषियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए। प्रदर्शनकारी नितीश सोनी ने कहा, “मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने तीन महीने पहले हमारी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हम विधानसभा घेराव के लिए मजबूर हुए।”
पहले भी हुए प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने इससे पहले 28 अगस्त 2024 को स्वाभिमान पैदल मार्च की घोषणा की थी, जिसे मुख्यमंत्री के 15 दिन में मांगों पर विचार करने के आश्वासन के बाद स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद 3 दिसंबर 2024 को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर भी संघ ने रायपुर में प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करने से रोक दिया और कई प्रदर्शनकारियों को टिकरापारा के साहू भवन में हाउस अरेस्ट कर दिया। प्रदर्शनकारी रामलाल साहू ने कहा, “हम शरीर से कमजोर हो सकते हैं, लेकिन मन से नहीं। हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इस वीडियो को शेयर कर कहा, “विष्णुदेव की पुलिस ने विधानसभा घेरने निकले दिव्यांगों के साथ गाली-गलौच और मारपीट की। यह शर्मनाक है।” विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कही है, जिससे यह मामला और तूल पकड़ सकता है।
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को विधानसभा की ओर मार्च करने की अनुमति नहीं थी, क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती थी। रायपुर पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण तरीके से तूता धरना स्थल पर ले जाया गया, जहां वे अपनी मांगें रख सकते हैं।
यहां देखिए वायरल वीडियो