Promotion Ban Lifted: छत्तीसगढ़ में प्राचार्यों की पदोन्नति का रास्ता साफ, 3500 स्कूलों में होगी नियुक्ति

Promotion Ban Lifted: छत्तीसगढ़ में प्राचार्यों की पदोन्नति का रास्ता साफ, 3500 स्कूलों में होगी नियुक्ति

रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूलों के प्राचार्यों की पदोन्नति का रास्ता आखिरकार साफ हो गया है। बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की प्रमोशन नीति को वैध मानते हुए प्राचार्य पदोन्नति के बाद पोस्टिंग पर लगी रोक को हटा दिया है। कोर्ट ने बीएड अनिवार्यता और प्रमोशन नीति के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद प्रदेश के लगभग 3500 स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह निर्णय शिक्षा विभाग और शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जो लंबे समय से इस प्रक्रिया के अटकने से परेशान थे।

जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की हाईकोर्ट डिवीजन बेंच ने 11 जून से 16 जून 2025 तक इस मामले की लगातार सुनवाई की। करीब 15 दिन पहले जस्टिस रजनी दुबे की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर अब अंतिम आदेश जारी किया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की प्रमोशन नीति में कोई खामी नहीं है और यह सभी श्रेणियों के शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसके साथ ही, प्राचार्य पद के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता को भी सही ठहराया गया है।

पदोन्नति से वंचित कुछ शिक्षकों ने प्रमोशन नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि प्राचार्य पद के लिए बीएड डिग्री को अनिवार्य करना उचित नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने माध्यमिक स्कूलों के प्रधान पाठकों से व्याख्याता बने शिक्षकों की वरिष्ठता के मुद्दे को भी उठाया। याचिकाओं में 2019 से जुड़ा एक पुराना मामला और 2025 में बीएड व डीएलएड योग्यता से संबंधित नए मामले शामिल थे।

राज्य सरकार ने कोर्ट में अपनी दलील देते हुए कहा कि प्रमोशन नीति में सभी शिक्षक श्रेणियों के लिए नियमों का पालन किया गया है और इसमें किसी भी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि नीति को सभी पक्षों के हितों को संतुलित करने के लिए बनाया गया है।

प्रमोशन प्रक्रिया का इतिहास

शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल 2025 को प्राचार्य पद के लिए पदोन्नति की सूची जारी की थी। लेकिन अगले ही दिन, 1 मई 2025 को हाईकोर्ट ने इस सूची पर स्थगन आदेश जारी कर दिया था। इस रोक के कारण हजारों स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति अटक गई थी। अब हाईकोर्ट के ताजा फैसले ने इस स्थगन को हटा दिया है, जिससे शिक्षा सत्र शुरू होने के साथ ही प्राचार्यों की पोस्टिंग शुरू हो सकेगी।

3500 स्कूलों पर प्रभाव

हाईकोर्ट के इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव छत्तीसगढ़ के 3500 स्कूलों पर पड़ेगा, जहां प्राचार्य के पद लंबे समय से रिक्त थे। इन स्कूलों में अब नए प्राचार्यों की नियुक्ति हो सकेगी, जिससे स्कूलों का प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्य सुचारू रूप से चल सकेगा। यह कदम न केवल शिक्षकों के लिए करियर में उन्नति का अवसर देगा, बल्कि छात्रों के लिए भी बेहतर शैक्षिक माहौल सुनिश्चित करेगा।

शिक्षकों और शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया

शिक्षा विभाग ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि जल्द ही प्राचार्यों की पोस्टिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं, शिक्षक संगठनों ने भी इस निर्णय को सकारात्मक बताया है, हालांकि कुछ शिक्षक अभी भी बीएड अनिवार्यता के नियम को लेकर असहमति जता रहे हैं। उनका कहना है कि इस नियम के कारण कई अनुभवी शिक्षक प्राचार्य पद के लिए अयोग्य हो रहे हैं।


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