रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर से सटे बीरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में प्रसव के बाद एक युवा महिला की मृत्यु के मामले में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है।
विभाग ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजना कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जांच में पाया गया कि डॉ. अंजना द्वारा मरीज की स्थिति का आवश्यक फॉलोअप नहीं किया गया, जिसके कारण यह दुखद घटना हुई।
निलंबन का आदेश
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आदेश के अनुसार, डॉ. अंजना कुमार को निलंबन अवधि के दौरान बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के मुख्यालय छोड़ने की मनाही है। इस अवधि में उन्हें नियमानुसार निर्वाहन भत्ता प्रदान किया जाएगा। जांच में सामने आया कि डिलीवरी के बाद रात के समय कोई चिकित्सा अधिकारी ड्यूटी पर मौजूद नहीं था, और डॉ. अंजना ने मरीज की गंभीर स्थिति का उचित अनुवर्तन (फॉलोअप) नहीं किया। यह लापरवाही 22 वर्षीय साक्षी निषाद की मृत्यु का प्रमुख कारण बनी।

ये है पूरा मामला
दरअसल, साक्षी निषाद की डिलीवरी 10 जून 2025 को बीरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई थी। परिजनों के अनुसार, डिलीवरी के लगभग 12 घंटे बाद, 10 और 11 जून की मध्यरात्रि में, साक्षी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। वह लगातार दर्द की शिकायत कर रही थी, लेकिन अस्पताल में कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। एक वार्ड ब्वॉय ने साक्षी को इंजेक्शन दिया और पानी पिलाने की सलाह दी, जिसके बाद उनकी हालत और बिगड़ गई। कुछ ही देर में साक्षी ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि इस दौरान अस्पताल कर्मचारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया।
मृतका के पति, दीपक निषाद, ने रायपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) और खमतराई थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपकर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा किया और स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही पर सवाल उठाए।
चार सदस्यीय जांच समिति ने इस मामले की गहन जांच की। रिपोर्ट में पाया गया कि:
डिलीवरी के बाद साक्षी को अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा था, जिसे नियंत्रित करने के लिए कोई विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं था।
रात के समय कोई महिला विशेषज्ञ चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं थी, जो इस तरह के जटिल मामलों के लिए आवश्यक थी।
वार्ड ब्वॉय द्वारा इंजेक्शन देना और अनुचित सलाह देना स्थिति को और गंभीर बनाने का कारण बना।
जांच में डॉ. अंजना कुमार की लापरवाही स्पष्ट रूप से सामने आई। उन्होंने न तो रात की ड्यूटी के लिए किसी विशेषज्ञ की व्यवस्था की और न ही साक्षी की बिगड़ती स्थिति पर ध्यान दिया।