छत्तीसगढ़ में स्कूलों-शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के विरोध में राज्य के 23 शिक्षक संगठन सामने आ चुके हैं। आज इन संगठनों के पदाधिकारियों ने नया रायपुर इंद्रावती पहुंचकर शिक्षा विभाग के अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। शिक्षक संगठनों ने 28 मई को मंत्रालय घेराव की चेतावनी देते हुए कहा अगर 27 मई तक मांगे पूरी नहीं होगी, तो मंत्रालय घेराव होगा।
इसके बाद छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया और शिक्षकों की भ्रांतियां को दूर करने के संबंध में मीडिया को जानकारी भेजी। जिसके तहत बताया गया यह प्रक्रिया बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने, शिक्षकों के संतुलित वितरण और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुपालन के उद्देश्य से की जा रही है।
शिक्षा विभाग का मानना है कि 2008 के सेटअप की प्रासंगिकता नहीं रही, अब शिक्षा का अधिकार अधिनियम ही युक्तियुक्तकरण का आधार है। 2008 के स्कूल सेटअप में प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षकों की व्यवस्था थी, जो उस समय की आवश्यकताओं के अनुरूप थी, लेकिन 01 अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बाद नए मानक लागू हुए।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि 60 से कम दर्ज संख्या वाली शालाओं को लेकर फैलाई जा रही भ्रांति निराधार हैं। कुछ संगठनों ने यह आशंका व्यक्त की थी कि 60 से कम दर्ज संख्या वाली 20 हजार से अधिक शालाएं व्यवहारिक रूप से एकल-शिक्षकीय हो जाएंगी।
इस पर विभाग ने स्पष्ट किया कि इन स्कूलों में दो शिक्षकों की व्यवस्था की गई है, जिसमें प्रधान पाठक भी एक शिक्षकीय पद है। अतः यह कहना गलत है कि ये शालाएं एक शिक्षक के भरोसे चलेंगी। शिक्षा विभाग ने यह दोहराया है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को कम करना नहीं, बल्कि उनकी तैनाती को तर्कसंगत बनाकर सभी विद्यार्थियों को समान अवसर और संसाधन उपलब्ध कराना है।