Chaitra Navratri 2025 : नवरात्रि में आज चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ, मां कुष्मांडा और मां स्कंदमाता की पूजा का विशेष संयोग

Chaitra Navratri 2025 : नवरात्रि में आज चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ, मां कुष्मांडा और मां स्कंदमाता की पूजा का विशेष संयोग

चैत्र नवरात्रि में इस वर्ष विशेष संयोग बना है, जहां आज बुधवार 2 अप्रैल को चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही हैं. इस दुर्लभ योग के कारण भक्तों को एक ही दिन में मां कुष्मांडा और मां स्कंदमाता, दोनों की पूजा करने का अवसर मिल रहा है. षोडशोपचार पूजन के माध्यम से भक्त माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

मां कुष्मांडा- सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी: पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मांड की उत्पत्ति मां कुष्मांडा के उदर से हुई थी. इसी कारण इन्हें कुष्मांडा कहा जाता है. मां कुष्मांडा शांत स्वभाव की देवी हैं और मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी जाती हैं. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू के अनुसार, मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है. साधकों को इनकी आराधना के दौरान देवी भागवत, नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.

षोडशोपचार विधि से करें पूजन: षोडशोपचार पूजन विधि से मां कुष्मांडा की आराधना करने से भक्त को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. देवी कुष्मांडा को प्रिय कुंद पुष्प अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है. साथ ही, उन्हें लक्षार्चन और मालपुए का भोग अर्पित करने का विशेष महत्व बताया गया है.

मां स्कंदमाता- मातृत्व और नवचेतना की देवी: पंडित राजेंद्र किराडू के अनुसार आज चतुर्थी और पंचमी तिथि के एक साथ पड़ने से भक्त एक ही दिन में मां स्कंदमाता की भी पूजा कर रहे हैं. यह देवी पहाड़ों पर रहने वाली और जीवों में नवचेतना का संचार करने वाली मानी जाती हैं. मान्यता है कि मां स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है और उनके जीवन में खुशियां आती हैं.

भगवान कार्तिकेय की माता: पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि भगवान स्कंद का दूसरा नाम कार्तिकेय है और माता को अपने पुत्र के नाम से पुकारा जाना प्रिय है. इसलिए वे स्कंदमाता के नाम से जानी जाती हैं. मां स्कंदमाता को खीर और मालपुआ का भोग अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है. वहीं, ऋतुफल में केला देवी की प्रिय वस्तु है. पूजन में प्रयुक्त होने वाले पुष्पों में कुमुद पुष्प अति प्रिय माना गया है, जिससे पूजन और मंत्र जाप करना उत्तम होता है. आज के इस विशेष संयोग में भक्त एक साथ मां कुष्मांडा और मां स्कंदमाता की आराधना कर सकते हैं, जिससे वे दोगुनी कृपा प्राप्त कर सकते हैं.


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