रायगढ़। छत्तीसगढ़ राज्य पावर वितरण कंपनी के रायगढ़ स्थित स्टोर में आग लगने से भारी नुकसान हुआ है। इस आग में करीब 400 पुराने ट्रांसफॉर्मर जलकर खाक हो गए, जिससे पावर कंपनी को लाखों का नुकसान हुआ है। यह घटना बिना किसी बीमा के हुई, जिससे नुकसान और बढ़ गया। आगजनी की इस घटना के बाद, स्टोर के कार्यपालन यंत्री को हटा दिया गया और जांच शुरू कर दी गई है।
यह पहली बार नहीं है, जब पावर कंपनी को इस तरह का नुकसान हुआ हो। इससे पहले, गुढ़ियारी में भी एक आगजनी की घटना हुई थी, जिसमें 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। गुढ़ियारी में इस घटना के बाद एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया था, जिसमें तत्कालीन कार्यपालक निदेशक ओएंडएम और वर्तमान में वितरण कंपनी के एमडी भीम सिंह भी शामिल थे।
समिति ने भविष्य में होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव दिए थे, लेकिन वे सुझाव केवल कागजों तक ही सीमित रह गए। गुढ़ियारी की घटना के बाद कुछ समय के लिए स्टोर की सुरक्षा पर ध्यान दिया गया था, लेकिन अब फिर से वही पुरानी लापरवाही देखने को मिल रही है।
रायगढ़ स्टोर में भी आगजनी की घटना के दौरान स्टोर के आसपास सूखी घास और छोटे-छोटे पेड़ मौजूद थे, जिनकी सफाई नहीं कराई गई थी। यही सूखी घास आग का कारण बनी। सूत्रों के अनुसार, आग किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बीड़ी या सिगरेट पीकर फेंके गए जलते हुए टुकड़े से लगी थी, जो स्टोर के भीतर केबल में गिर गई।
प्लास्टिक और ट्रांसफॉर्मर के तेल के कारण आग तेजी से फैल गई। इस आग में ज्यादातर पुराने ट्रांसफॉर्मर जलकर नष्ट हो गए, जिन्हें रिपेयर के लिए रखा गया था। यह ट्रांसफॉर्मर पुनः उपयोग किए जा सकते थे, लेकिन अब यह आग में जलकर खाक हो गए हैं।
कंपनी प्रबंधन ने मामले की जांच के लिए बिलासपुर के मुख्य अभियंता आलोक अम्बष्ट को जिम्मा सौंपा है। साथ ही, स्टोर के कार्यपालन यंत्री गुंजन शर्मा को तत्काल हटा दिया गया है। पुलिस ने भी इस घटना की जांच शुरू कर दी है, और सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट के वरिष्ठ वैज्ञानिक पीएस भगत ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आग लगने का कारण बीड़ी या सिगरेट के जलते हुए टुकड़े हो सकते हैं, जो स्टोर के भीतर घास के ढेर में गिरे थे।
आग के बाद, स्टोर में फायर सिस्टम मौजूद था, लेकिन तेज हवाओं के कारण आग फैलने में मदद मिली। कार्यपालन यंत्री गुंजन शर्मा ने भी कहा कि जहां आग लगी, वहां केवल रिपेयर के लिए रखे गए ट्रांसफॉर्मर थे और नए ट्रांसफॉर्मर पूरी तरह से सुरक्षित थे।