बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में इन दिनों लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। इसके चलते कई जिलों में जलभराव की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है। इसी कड़ी में बिलासपुर में 10 जुलाई को हुई 2 घंटे की बारिश से पूरा शहर तालाब में तब्दील हो गया। जज, संभागीय कमिश्नर, कलेक्टर, निगम कमिश्नर समेत कई अधिकारियों के बंगलों में भी पानी घुस गया था। वहीं, SDM दफ्तर, आदिवासी विकास विभाग के हॉस्टल सहित दुकानों-मकानों में नाले का गंदा पानी भरा, जिससे लोग घंटों परेशान होते रहे। स्थिति यह थी कि SDM ऑफिस के कोर्ट के अंदर भी पानी भरा गया था। इस जलभराव की घटना के वक्त कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही थी।
अधिकारियों के बंगलों में जलभराव
बिलासपुर शहर में बारिश का पानी इतना अधिक था कि SDM कार्यालय और कोर्ट रूम तक जलमग्न हो गए। उस समय कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें SDM मनीष साहू मौजूद थे। पानी के कारण कर्मचारियों को फाइलों को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कार्यालय परिसर तालाब जैसा दिखने लगा, जिससे कामकाज प्रभावित हुआ। आदिवासी विकास विभाग के हॉस्टल और कई दुकानों-मकानों में भी नाले का गंदा पानी घुस गया।
संभागीय कमिश्नर, कलेक्टर, निगम कमिश्नर, और जज के सरकारी बंगलों में भी बारिश का पानी घुस गया। इससे अधिकारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। नगर निगम को तत्काल मड पंप मंगवाकर पानी निकालने की व्यवस्था करनी पड़ी। घंटों की मेहनत के बाद स्थिति कुछ हद तक सामान्य हुई, लेकिन तब तक फर्नीचर और अन्य सामान भीग चुका था।
भारी बारिश से ये क्षेत्र प्रभावित
बारिश ने श्रीकांत वर्मा मार्ग, पुराना बस स्टैंड चौक, बंधवापारा, सिम्स चौक, कोतवाली चौक, जरहाभाठा, और सरकंडा जैसे क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया। इसके अलावा, मीना बाजार, पारिजात, गया विहार, गुरु विहार, सोनगंगा कॉलोनी, अरविंद नगर, शिवम होम्स, चौबे कॉलोनी, अज्ञेय नगर, और भारतीय नगर जैसी पॉश कॉलोनियों में भी घुटनों तक पानी भर गया। घरों में पानी घुसने से फर्नीचर, बिस्तर, बर्तन, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खराब हो गए। जरहाभाठा के ओम नगर में लोगों को रात तक बाल्टी और मग से पानी निकालना पड़ा, और कई घरों में सोने की जगह तक नहीं बची।
प्रशासन की तैयारियों पर उठ रहे सवाल
नगर निगम ने पहले 27 जलभराव संभावित क्षेत्रों को चिह्नित किया था, लेकिन इस बार की बारिश ने इन व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। नालियां या तो जाम थीं या उनका निर्माण अधूरा था। मड पंप से अस्थायी समाधान किया गया, लेकिन स्थायी उपाय अब भी नहीं हो सका।
निगम हर साल जल निकासी के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। नए मोहल्लों में भी पानी भरने लगा, और सड़कों पर यातायात ठप हो गया। ऑटो और दोपहिया वाहन पानी में फंस गए।
कॉलोनियों में पानी निकालने के लिए लोग घंटों जूझते रहे। कई घरों में गैस चूल्हे बंद करने पड़े, और रात तक पानी निकालने की प्रक्रिया चलती रही। बारिश थमने के बाद भी कुछ क्षेत्रों में दो-तीन घंटे तक जलभराव की स्थिति बनी रही। लोगों ने निगम की लचर व्यवस्था पर नाराजगी जताई और स्थायी समाधान की मांग की।
निगम का दावा
निगम अधिकारियों ने कहा कि नालों की सफाई दोबारा कराई जाएगी, और कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय रहेगा। हालांकि, इन दावों की सच्चाई अगली बारिश में ही सामने आएगी। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बारिश के दौरान सावधानी बरतें और जलभराव की स्थिति में निगम के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।
जलभराव से बचाव के उपाय
घरों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
बारिश के दौरान नालों की सफाई सुनिश्चित करें।
जरूरी सामान को ऊंचे स्थान पर रखें।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को पानी से बचाएं।
जलभराव की स्थिति में निगम के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।
बिलासपुर में बारिश और जलभराव ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। स्थायी समाधान के अभाव में हर साल यह समस्या दोहराई जाती है। प्रशासन और निगम को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।